श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥ जो सत बार पाठ कर कोई । ॐ ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंकाविध्वंसनाय अंजनी गर्भ संभूताय शाकिनी डाकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलिकिलि बुबुकारेण विभिषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं हौं हाँ फट् स्वाहा।। Possessing polished the mirror of https://henryl776bnw7.buyoutblog.com/34889668/indicators-on-hanuman-mantra-you-should-know