श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ The Chalisa serves like https://shivchalisas.com